तुलसी पूजन दिवस क्यों मनाया जाता हैं | Tulsi Pujan Diwas 2021
तुलसी, माता के रूप में अति पवित्र एवं पूजनीय मानी गई है तुलसी आदिदेवी ,आदिबोधि और आध्यात्मिक इन तीन प्रकारों के तापों का नाश कर सुख-समृद्धि देने वाली है तुलसी पूजन, सेवन और रोपण से आरोग्य लाभ और आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ होते हैं अतः देश में सुख ,सौहार्द ,स्वास्थ्य और शांति से जन समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहित कार्य को देश से प्राणी मात्र के हित चिंतक पूज्य बापूजी के पावन प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारंभ हुआ
इस पर्व की लोकप्रियता विश्व स्तर पर देखी गई तुलसी पूजन से मनोबल , बुद्धि बल , चरित्र बल व आरोग्य बल बढ़ता है मानसिक अवसाद और आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इससूक्ष्म ऋषि विज्ञान का लाभ मिलता है तो आइये जानते हैं की तुलसी पूजन दिवस क्यों मनाया जाता हैं
तुलसी पूजन दिवस कब मनाया जाता है
हर साल 25 दिसंबर को
तुलसी पूजन दिवस क्यों मनाया जाता है
आखिर क्यों मनाया जाता है तुलसी दिवस इसके पीछे कोई पौराणिक कथा नहीं है बल्कि आधुनिक संत समाज ने मिलकर इस दिवस को बनाने का निर्णय लिया है
आज का समाज है जो बहकता जा रहा है पाश्चात्य संस्कृति केे प्रभाव से आज का युवा बहुत ही ज्यादा प्रभावित है और वह अपनी संस्कृति को भूलता जा रहा है वेस्टर्न कल्चर के अनुसार 25 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं
ये सब कृत्य Christmas और New year केे नाम पर होते है इन सब से समाज को निकालने के लिए साधु संतों ने 25 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच उन्होंने बताया हैं की तुलसी पूजा दिवस, गो पूजा ,जप माला की पूजा, हवन, गीता पूजा, सत्संग आदि की परंपराओं शुरू की
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तुलसी पूजन दिवस पर तुलसी पूजा कैसे करे ?
सबसे पहले तुलसी माता को जल अर्पित करना है उसके बाद कुमकुम से उनका टीका करना चाहिए और इसके बाद घी का दिया जलाए
इसके बाद तुलसी माता की आरती करनी हैं और तुलसी माता को आप गुड और मुँगफली का भोग चढ़ाना चाहिए भगवान को किसी भी वस्तु का भोग लगाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करना चाहिए।
इसके बाद तुलसी माता के मंत्र और नाम का उच्चारण करते हैं
यह पूजा 25 दिसंबर को सुबह से शाम कभी भी कर सकते हैं और अगर आप यह पूजा 25 दिसंबर को नहीं कर पाए तो 25 दिसंबर से लेकर 1 जनवरी तक कभी भी सही मुहूर्त देखकर कर सकते हैं
मंत्र
महाप्रसादजननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी।
आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
इसके बाद तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए, जोकि अपनी सुविधानुसार 7, 11, 21 या 111 परिक्रमा कर सकते हैं और उसके बाद मां तुलसी का ध्यान कीजिए।
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तुलसी के नाम
वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी
कहते हैं कि जो व्यक्ति तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
स्कंद पुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है अथवा प्रतिदिन पूजन होता है, उस गर में यमदूत प्रवेश नहीं करते। तुलसी की उपस्थिति मात्र से नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है।

नमस्कार दोस्तों, मैं Vishal , Hinditechnote का Founder ओर Technical Author हूँ